
- कहां है गणेश जी का असली मुख
किसी भी शुभ काम को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश को विनायक और गजानन गजबदन जैसे नामों से भी जाना जाता है। भगवान गणेश का मुख दरअसल हाथी का है। आपके दिमाग में यह जरूर आता होगा कि आखिर भगवान गणेश का असली मुख कहां है। यहां हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं।
कैसे अलग हुआ मुख?
माता पार्वती ने भगवान गणेश का सृजन किया था। उस वक्त उनका मानव मुख ही हुआ करता था। ऐसे में उनका मुख उनके शरीर से आखिर कैसे अलग हुआ, इसके बारे में अलग-अलग पौराणिक मान्यताएं मौजूद हैं।
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जब पहुंचे शनिदेव
पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है कि भगवान गणेश के जन्म लेने पर सभी देवी-देवता उन्हें देखने के लिए पहुंचे थे। शनिदेव भी वहां मौजूद थे। शनिदेव को उनकी पत्नी ने श्राप दिया था कि जिन पर भी उनकी नजरें पड़ेंगी उनका अहित जरूर होगा।
इसी कारण वे अपनी नजरें टेढ़ी रखते थे। माता पार्वती ने जब उनकी टेढ़ी नजरों को देखा तो उन्हें अच्छा नहीं लगा और उन्होंने शनिदेव से कह दिया कि क्या आप गणेश के जन्म से खुश नहीं हैं।
चन्द्रमण्डल में पहुंच गया मुख
उनके मजबूर करने पर जैसे ही शनिदेव ने भगवान गणेश को देखा, उनका मुख धड़ से अलग होकर चंद्रमंडल में पहुंच गया और वहीं विद्यमान भी है। फिर भगवान शिव ने हाथी का मुख भगवान गणेश को लगा दिया, जिससे वे फिर से जीवित हो गए।
भगवान शिव ने किया अलग
एक अन्य कथा के मुताबिक माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से भगवान गणेश को बनाया था। एक बार स्नान करने के लिए जाने के दौरान उन्होंने भगवान गणेश को किसी को भी नहीं आने देने के लिए कहा था।
भगवान गणेश ने जब भगवान शिव को भी रोक दिया था तो गुस्से में उन्होंने उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था। बाद में माता पार्वती का विलाप सुनकर उन्होंने हाथी का मुख उन्हें लगा दिया और आशीर्वाद भी दिया कि दुनिया में सबसे पहले उन्हीं की पूजा की जाएगी।
पाताल भुवनेश्वर मंदिर में
ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने भगवान गणेश के मुख को एक गुफा में सुरक्षित रख दिया था। वर्तमान में यह गुफा पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यहां जो भगवान गणेश की मूर्ति मौजूद है, वह आदिगणेश के नाम से जानी जाती है।