
शारदीय नवरात्रि इस साल लगभग 1 माह की देरी से शुरू हो रहे हैं। इस बार नवरात्रि 17 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक हैं। वैसे तो माता का वाहन सिंह माना जाता है लेकिन तिथियों के अनुसार हर वर्ष अलग अलग सवारियों पर बैठ कर माता दुर्गा धरती पर आती हैं। वे जिस भी सवारी पर आती हैं उसका कुछ विशेष अर्थ होता है, अतः माता की सवारी को उनका संकेत चिन्ह भी माना गया है। ऐसा भी मन जाता है कि माता जिस तरह की सवारी पर आती हैं उससे आने वाले साल देश में होने वाली घटनाओं का अनुमान भी लगाया जाता है।
शनिवार और मंगलवार को कलश स्थापना होने पर मां की सवारी घोड़ा होता है। इस बार नवरात्रि स्थापना शनिवार को है अतः मां दुर्गा देवी घोड़े पर सवार होकर धरती पर पधारेंगी, जो कि एक गंभीर संकेत है, क्योंकि घोड़े को युद्ध का प्रतीक माना गया है। मां भैंसे पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी, इसे भी शुभ संकेत नहीं माना गया है।
क्या संकेत देता है माँ दुर्गा का घोड़े पर आना
जैसा कि हमने बताया कि घोड़ा युद्ध का प्रतीक माना गया है, अतः इसका सीधा प्रभाव सत्ता और शासन पर पड़ता है। माता का घोड़े की सवारी चुनना कई गंभीर परिणामों को दर्शाता है जैसे कि पड़ोसी देशों से युद्ध होना, आंधी तूफान आना, आतंकवादी घटनायें, प्राकृतिक आपदाएं आना, गृह युद्ध होना इत्यादि। जब भी माता घोसे की सवारी पर आती हैं तो देश व राजनीति में उथल-पुथल मच जाती है और प्राकृतिक आपदाएं आती हैं।
दुर्गा मां से करें रक्षा की प्रार्थना
इस बार माता दुर्गा भैंसे पर सवार होकर विदा लेंगी, यह भी शुभ संकेत नहीं है। मां का आना और जाना दोनों ही गंभीर संकेत दे रहा है अतः इस बार मां की पूजा अर्चना करते वक्त हर भक्त को अपने घर और परिवार की रक्षा के साथ ही देश की रक्षा की प्रार्थना मां से अवश्य करनी चाहिये। एकाग्रचित्त मन से मां से विनती करें कि वे सभी की प्राकृतिक आपदाओं से भी रक्षा करें। जिससे मां ना सिर्फ आपकी बल्कि पूरे देश और समाज की परेशानियां दूर करेंगी।